बुधवार, 16 जुलाई 2014

तालाब खतम, पानी खतम, गाँव कैसे ज़िंदा रहेगा ?

हमारे गाँव को तालाबों का गाँव कहा जाता था। 

सिउपूजन दास कहते थे... 

छंगापुरा एक दीप है बसहि गढ़हिया तीर।  
पानी राखो कहि गए सिउपूजन दास कबीर।।  

हमारे गांव के उत्तर की तरफ  बड़का तारा करीब बीस बीघे में फैला हुआ।  फिर पंडा वाला तारा पूरब में दामोदरा और मिसिर का तारा कोने में तलियवा।  पच्छिम में दुर्बासा तारा, दक्खिन में गुड़ियवा तारा। इसके अलावा हर घर के आस पास फैले खाते और बड़े बड़े गड़हे वाटर हार्वेस्टिंग के जबरदस्त स्रोत पूर्वजों द्वारा  आने वाली पीढ़ियों के लिए बनाये गए थे। बाग़ बगीचों से लदा फंदा और पानी से भरे कुंओ और ठंडी ठंडी हवाओं वाला  हमारा गाँव बारहो महीने खुशहाली के गीत गौनही गाता था। 

समय बदला पैंडोरा बॉक्स खुला। लालच और ईर्ष्या के कीट बॉक्स में से निकल कर हमारे गाँव में शहर वाली सड़क और टीवी के रस्ते घुस गए।  

कल मेरा भतीजा आया था बता रहा था कि चाचा अपना कुंआ अब सूख रहा है।  गाँव में तकरीबन सारे कुंये सूख गए हैं।  लोगों ने अब सबमर्सिबल लगवा लिए है बटन दबाया पानी आ गया।  पंडा वाला तालाब को पाट  दिया गया है  वहा दीवार उठा दी गई है। लल्लू कक्का ने घर के सामने का खाता पाट दिया है। गुड़ियवा और तलियये वाला तालाब खेत में बदल गया है।  बाग़ को काट काट लोग लकड़ियां बेंच पईसा बना रहे।  अब गाँव में हर घर टीवी है रोज बैटरी चार्ज कराने को लेकर झगड़ा मचा रहता है।  बाप खटिया में खांसता रहता है बच्चे मोबाइल में  रिमोट से लहंगा उठाने वाला गाना सुनने में मस्त। गाँव में कंक्रीट के चालनुमा मकान सरकारी आवास योजना से बन कर तैयार हो रहे जिसे ग्राम प्रधान कमीशन लेकर बाँट रहा।  हर घर में अलगौझी।  भाई भाई से छोड़िये बाप अलगौझी अऊर अबकी गाँव में छंगू  की मेहरारू  छंगुआ के जेल भिजवाई के केहु अऊर के साथ जौनपुर भागी है। इज्जत आबरू मान मर्यादा सब खत्म। 
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तालाब खतम 
पानी खतम 
गाँव कैसे ज़िंदा रहेगा ?