पिछले रविवार को मै और डॉ पंकज सिंह(हम दोनों एक ही जगह पढ़ाते है) जीवन विद्या से जुड़े संतोष सिंह भदौरिया जी द्वारा स्थापित लवकुश आश्रम का अवलोकन करने गए थे. यहाँ प्राकृतिक खेती पशुपालन व मानव मूल्यों की शिक्षा दी जाती है. बैल चालित मशीन से चारा कतरने पानी निकालने व आटाचक्की चलाने का काम होता है. भदौरिया जी मध्यस्थ दर्शन के प्रवर्तक श्री ए नागराज (अमरकंटक) जी के शिष्य है. नागराज जी का मानना है की इस समय " आदमी को मशीन जैसा बनाया जा रहा है और मशीन को आदमी जैसा." मानव की आत्मनिर्भरता उसके सम्बन्ध पूर्वक जीने में होती है. जब मानव सभी प्राणियों के साथ सह अस्तित्व को स्वीकार कर लेता है और सह अस्तित्व में जीना सीख लेगा है तो वह सुखी हो जाएगा.
बढ़ियां जानकारी
जवाब देंहटाएंआपकी यात्रा का सुखद वर्णन पढ़ कर आनंद हुआ।
जवाब देंहटाएंदेशी तकनीक।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-715:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
pataa naheen kyaa kahanaa chaahate hain....
जवाब देंहटाएंमिर्च और मशीन, दोनो काम की है।:)
जवाब देंहटाएंसुंदर !!
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