आईआई.टी. मे हुयी मानव मूल्य कार्यशाला के दौरान मै गोपाल उपाध्याय के सम्पर्क मे आया. उन्होने सुभाष पालेकर जी का जिक्र करते हुये मुझे फर्रुखाबाद आने का निमंत्रण दिया. यहा मुझे बाग़डिया जी के द्वारा पालेकर जी के कार्यो की जानकारी मिल चुकी थी. मै बागडिया जी और संतोष भदौरिया के के संस्थान मे जाकर विषमुक्त खेती का अवलोकन कर चुका था. इन सब से एबात मेरे मन मे पुख्ता तौर पर बैठती जा रही थी कि जो 'हरित क्रांति विकास' का माडल किसानो के लिये प्रचारित किया जा रहा है वह धरती के शोषण पर आधारित है, और आज नही तो कल इसका भयंकर परिणाम भुगतना पडेगा. जैसा कि पंजाब मे अब दिखायी देने लगा है. मैने अपने बडे भईया राजकुमार जी को कानपुर बुलाकर इस विषय पर मंत्रणा की और उन्हे इसके लिये तैयार किया. भाई गोपाल और सुभाष पालेकर का मार्गदर्शन मिला और हम लोगो ने अपने खेत मे एक 'सैम्पल एक्सपेरीमेंट' किया.
विषमुक्त खेती मे रासायनिक खाद, कीटनाशक, गोबर का कम्पोस्ट, संकर बीज या हाईब्रीड किस्मो का प्रयोग बिलकुल नही किया जाता. बल्कि गोमूत्र के फर्मेंटेशन के द्वारा एक घोल तैयार किया जाता है जिसके छिडकाव से प्राकृतिक रूप से धरती मे जीवाणु सक्रिय हो जाते है और फसलो के लिये लाभदायक होते है. इसमे पानी का भी इस्तेमाल कम होता है. इस प्रकिया का एक स्लोगन है 'एक गाय देशी दस एकड खेती'.गाय का देशी होना महत्वपूर्ण है. लोग जर्सी को गाय की प्रजाति कहते है पर
मेरे हिसाब से यह सुअर प्रजाति है इसे गाय मानना ठीक वैसे है जैसे नीलगाय
को गाय मानना. इस खेती से हम पुन: गाय और धरती से अपने सम्बन्ध ठीक कर
पायेंगे और इन के आशीर्वाद से पुन: हर घर मे दूध घी और अन्नपूर्णा का वास
हो सकेगा.
एक साथ आठ फसले जिसमे सूरजमुखी, मूंग, गन्ना, कद्दू, भिंडी,टमाटर और प्याज और ककडी है,ली जा रही है. मूंग
सूरजमुखी
विषमुक्त प्याज दिखाते मेरे बडे भाई
ये बिना रासायनिक खाद के उत्पादित मक्का है
भिंडी
कद्दू
प्रयोग की सफलता के बाद की मुसकराहट के साथ मै.
badhai aapko aapke prayog ki safaltaa ke liye, nishchit hai keemti prayog hai, jis se ham aur hamare bachhe zahar khane se bach jayenge
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने, प्राकृतिक उपायों से गोधन और खेतों, दोनों की ही रक्षा होगी..
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी पोस्ट...!
जवाब देंहटाएंAti Uttam
जवाब देंहटाएंसुन्दर और प्रेरक आलेख !!
जवाब देंहटाएंअगर आप विषमुक्त खेती के तरीके साझा कर सके तो हो सकता है कई लोग उसे अपना लें !!
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय प्रयास-कितना अच्छा हो लोग इसे अपना लें !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब क्या प्रयोग किये आपने और आपके भाई साहब ने | बधाई |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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