प्रयाग की रेती में हर साल माघ के महीने में देश विदेश से तथा कथित श्रद्धालू अपने पाप धोने गंगा की गोद में आते है. सबके अपने अपने स्वार्थ है जिसके वशीभूत होकर वे गंगा में दुबकी लगा कर असीमित सुखों का जखीरा अपने नाम करने की उत्कट लालसा रखते है. ये कैसी श्रद्धा है जो यह नहीं देखती कि जिस गंगा को हम माँ कहते है उसी को गन्दा करने पर तुले है. यह तो दोगलापन हुआ. यह जड़ता का भी द्योतक है. मै गंगा के हालत का जायजा लेने कल ८ फ़रवरी को इलाहाबाद गया था
आइये आपको भी वहा के हालात दिखाता चलू
यह वह पवित्र जल की दशा है जो लोगो को कभी मोक्ष प्रदान करने की हैसियत रखता था किन्तु आज स्वयं मुक्तिदाता की बाट जोह रहा है.
ये गंगा का जलस्तर है
गंगास्नान को जाती पागल भीड़
ये अघोरी जो गंगा में बहने वाले मुर्दों पर नज़र रखे था
मानव भविष्य के सूचक ये भिखारी
मेरे पीछे लगे कल्पवासियो के तम्बू
गंगा में सीधे गिरते नाले
मानव मल का सीधा बहाव गंगा की ओर
सुधी पाठको क्या हम हाथ पर हाथ धरे ऐसे ही बैठे रहेगे आखिर कोई तो रास्ता होगा अपनी गंगा को बचाने का संस्कृति को बचाने का अपनी माँ को बचाने का
आइये आपको भी वहा के हालात दिखाता चलू
यह वह पवित्र जल की दशा है जो लोगो को कभी मोक्ष प्रदान करने की हैसियत रखता था किन्तु आज स्वयं मुक्तिदाता की बाट जोह रहा है.
ये गंगा का जलस्तर है
गंगास्नान को जाती पागल भीड़
ये अघोरी जो गंगा में बहने वाले मुर्दों पर नज़र रखे था
मानव भविष्य के सूचक ये भिखारी
मेरे पीछे लगे कल्पवासियो के तम्बू
गंगा में सीधे गिरते नाले
मानव मल का सीधा बहाव गंगा की ओर
सुधी पाठको क्या हम हाथ पर हाथ धरे ऐसे ही बैठे रहेगे आखिर कोई तो रास्ता होगा अपनी गंगा को बचाने का संस्कृति को बचाने का अपनी माँ को बचाने का
कितना ही अच्छा होता कि हम गंगा स्नान करने के बजाय गंगा को स्नान कराते । यदि हम व्यक्ति यह उद्देश्य लेकर जाता कि हम गंगा से एक मुठी गंदगी बाहर निकालेंगें तो शायद इस माघ माह के अंत तक हमे गंगा मे स्वच्छता के स्तर में कुछ शुधार दिखता जो वाकई में दिखाई देता । और इसके लिये हमे सरकार की नही , स्वयं के संकल्प की जरूरत है ।
जवाब देंहटाएंएक अच्छी तस्वीर पेश कि हैं आपने, लेकिन शायद आप प्रयाग रेलवे स्टेशन कि तरफ से बांध पकड़ कर के बक्शी दारा गंज कि तरफ जाते तो नज़र आता कि पूरा इलाहाबाद का गन्दा पानी कैसे गंगा में छोड़ा जाता हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत कोफ़्त हो रही है इस पोस्ट को पढने के बाद
जवाब देंहटाएंगुस्सा तो आपको भी आता है बस आप व्यक्त नही करते आपके चेहरे पर तनाव स्पष्ट देखा जा सकता है
बताइये मेरे लिए क्या आदेश है
वैसे एक सूचना दे दू कि मै भी अब राइटर बन्ने जा रहा हूँ
फोटो पत्रकारिता का सुंदर उदाहरण है। सम्पूर्ण गद्य जो नहीं कह पता वो एक चित्र कह देता है। अंधश्रद्धा के कारण लोग गंगा को सभी स्तिथियों मे मुक्तिदात्री मान लेते हैं।
जवाब देंहटाएंपवन भाई, काश लोग आप की तरह सोचते।
जवाब देंहटाएं---------
पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?
आस्था का मजाक है यह. स्वगत.
जवाब देंहटाएंगांधीविचार
जितना भी मैल हम गंगा में मिलाए फिर भी यही सोचा जाता है कि गंगा जरूर हमारे पाप धोएगी...
जवाब देंहटाएंकाश! यह हाल न होता....
पवन जी खूबसूरत चित्र सारी कहानी स्वम कह देते हैं. आप की सही दिशा मैं सोंचते हैं. हाँ गंगा स्नान मैं कोई हर्ज नहीं यदि गन्दगी ना फैलाई जाए.
जवाब देंहटाएंAisi haalat hai ganga ki?????
जवाब देंहटाएंItni gandgi mein dubki lagane se paap to sayad hi dhule par bimarion ko nyota jarur mil jayega aur fir isme galat bhi kya hai jo boyenge wahi to katenge na!!!!!
इस बात में कोई भी दो राय नहीं है कि लिखना बहुत ही अच्छी आदत है, इसलिये ब्लॉग पर लिखना सराहनीय कार्य है| इससे हम अपने विचारों को हर एक की पहुँच के लिये प्रस्तुत कर देते हैं| विचारों का सही महत्व तब ही है, जबकि वे किसी भी रूप में समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच पहुँच सकें| इस कार्य में योगदान करने के लिये मेरी ओर से आभार और साधुवाद स्वीकार करें|
जवाब देंहटाएंअनेक दिनों की व्यस्ततम जीवनचर्या के चलते आपके ब्लॉग नहीं देख सका| आज फुर्सत मिली है, तब जबकि 14 फरवरी, 2011 की तारीख बदलने वाली है| आज के दिन विशेषकर युवा लोग ‘‘वैलेण्टाइन-डे’’ मनाकर ‘प्यार’ जैसी पवित्र अनुभूति को प्रकट करने का साहस जुटाते हैं और अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्यार भरा उपहार देते हैं| आप सबके लिये दो लाइनें मेरी ओर से, पढिये और आनन्द लीजिये -
वैलेण्टाइन-डे पर होश खो बैठा मैं तुझको देखकर!
बता क्या दूँ तौफा तुझे, अच्छा नहीं लगता कुछ तुझे देखकर!!
शुभाकॉंक्षी|
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
(देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
फोन : 0141-2222225(सायं सात से आठ बजे के बीच)
मोबाइल : 098285-02666
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जवाब देंहटाएं------ हरेक हिंदी ब्लागर इसका सदस्य बन सकता है और भारतीय संविधान के खिलाफ न जाने वाली हर बात लिख सकता है । --------- किसी भी विचारधारा के प्रति प्रश्न कर सकता है बिना उसका और उसके अनुयायियों का मज़ाक़ उड़ाये । ------- मूर्खादि कहकर किसी को अपमानित करने का कोई औचित्य नहीं है । -------- जो कोई करना चाहे केवल विचारधारा की समीक्षा करे कि वह मानव जाति के लिए वर्तमान में कितनी लाभकारी है ? ----- हरेक आदमी अपने मत को सामने ला सकता है ताकि विश्व भर के लोग जान सकें कि वह मत उनके लिए कितना हितकर है ? ------- इसी के साथ यह भी एक स्थापित सत्य है कि विश्व भर में औरत आज भी तरह तरह के जुल्म का शिकार है । अपने अधिकार के लिए वह आवाज़ उठा भी रही है लेकिन उसके अधिकार जो दबाए बैठा है वह पुरुष वर्ग है । औरत मर्द की माँ भी है और बहन और बेटी भी । इस फ़ोरम के सदस्य उनके साथ विशेष शालीनता बरतें , यहाँ पर भी और यहाँ से हटकर भी । औरत का सम्मान करना उसका अधिकार भी है और हमारी परंपरा भी । जैसे आप अपने परिवार में रहते हैं ऐसे ही आप यहाँ रहें और कहें हर वह बात जिसे आप सत्य और कल्याणकारी समझते हैं सबके लिए ।
आइये हम सब मिलकर हिंदी का सम्मान बढ़ाएं.
कडवा सच. शर्मनाक स्थिति
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । धन्यवाद सहित...
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