आज मै गंगा प्रदूषण पर किये गए पिछले अध्ययनों के आधार पर यह घोषित कर रहा हूँ कि गंगा सफाई के लिए किये जाने वाले सभी प्रयास बंद कर दिए जाने चाहिए. गंगा को साफ़ करने की कोई जरूरत नही. क्यों?
कारण...
१. बहता हुआ जल अपनी सफाई स्वयं कर लेता है.
२. दरअसल गंगा सफाई अभियान एक बहुत बड़ा षड्यंत्र और धोखा है. गंगा को साफ़ करना और गंदा करना एक चोखा धंधा बन चुका है जिसमे कार्पोरेट जगत, राजनेता, नौकरशाह, गैर सरकारी संगठन का कुत्सित गठजोड़ शामिल है. पहले गंगा में गन्दगी फेंकी जाएगी फिर उसे साफ़ करने के लिए फंड आएगा. इस फंड को जारी करने वाली मीटिंग और उसके प्रपोजल से लेकर जो पैसे खाने का सिलसिला चलता है वह अंत में स्वनाम धन्य गंगाप्रहरियो की तिजोरियो में जाकर विलीन हो जाता है. फिर ज्यादा से ज्यादा गंगा के घाटों पर साफ़ सफाई का काम करके गंगा सफाई की इति श्री कर ली जाती है. गंगा में गन्दगी पूर्ववत. फिर से इस गठजोड़ का रोना पीटना शुरू. फिर फंडिंग. फिर ऐश ही ऐश. ये अंत हीन सिलसिला है. जब तक गंगा की सफाई का कार्यक्रम बंद नही कर दिया जाता.
३.गंगा के स्वच्छ रहने की सबसे बड़ी शर्त यह है कि उसमे गन्दगी न फेकी जाय. गंगा को किसी भी हाल में गन्दा न किया जाय.
४. गंगा में गन्दगी फैलाने पर कठोरतम विधिक व्यवस्था की जानी चाहिए.
५. गंगा जिस भी शहर से होकर गुजरती है उसका मास्टर प्लान ऐसा हो जिससे शहर का कचरा गंगा में न गिरे बल्कि उसका निष्पादन वैज्ञानिक तरीके से हो.
६. एक बार गंगा पर बने बांधो का पानी छोड़ दिया जाय और गंगा को स्वाभाविक तरीके से कुछ समय के लिए बहने दिया जाय तो पानी के तीव्र बहाव से सारा कचरा बह जाएगा.
वास्तव में गंगा के सफाई करण में पैसे की कोई भूमिका नही है और न ही कोई नया तंत्र बनाने की जरूरत. हमारे पास जो पहले से चली आ रही व्यवस्था है वह पर्याप्त है.
मिस्टर जयराम रमेश सुन रहे हो ?
Kaash sun pate.
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प्यार की परिभाषा!
ब्लॉग समीक्षा का 17वां एपीसोड--
आपका आंकलन बिलकुल सही है.हम भी इसका समर्थन करते हैं.
जवाब देंहटाएंआपने 'क्रन्तिस्वर'पर जो मुबारकवाद दी और जिस प्रकार समर्थन दिया उसके लिए हम आभारी हैं.पहले आपका नाम रह गया था अब यथेष्ट स्थान पर आ गया है.
हम कब तक सियासत बाजों का मुंह देखेगे
जवाब देंहटाएंकेवल पानी बहने दिया जाये और नालियाँ रोकी जायें, गंगा स्वयं शुद्ध हो लेगी।
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी बिलकुल सही बात है सरकार की यही नीति है. नशे के सन्दर्भ में भी यह बात सच है पहले तो सिगरेट गुटका बेचो, फिर उसपर चेतावनी लिखनें का ढोंग करो, और अंत में तम्बाकू से होने वाले नुक्सान के विज्ञापन छापो और इन बीमारयों को ठीक करने की दवाइयां बेचो. क्या कमाल का सिस्टम है
जवाब देंहटाएंसुन पते वो जिनके लिए आप कह रहे हैं
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