गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

"चोंगा एंड चोंगा कंपनी में पर्यावरण जागरूकता पर गहन चर्चा" HAPPY EARTH DAY

कानपुर में एक प्रसिद्ध संस्थान है चोंगा एंड चोंगा कंपनी . यहाँ आज  अर्थ डे मनाया जा रहा था. एक बड़े से हाल में खूब गहमा गहमी मची थी कंपनी के कर्मचारी तैयारियों में आकाश पाताल  एक किये हुए थे. महिला कर्मचारी लिपी पुती अतिथि गण की राह निहार रही थी. हाल के अन्दर बड़े से  प्लास्टिक के बैनर पर सेव अर्थ लिखा हुआ था. बड़े बड़े लोग लोगियाँ परफ्यूम लगाए इधर उधर गर्वीले भाव में चहलकदमी कर रहे थे.कार्यक्रम का आयोजक  चोंगा एंड चोंगा कंपनी के मालिक चोंगाबसंत से बोला,"सर अब आईये हाल को एसी से चिल कर दिया गया है ". थोड़ी देर में हलचल हुयी और चोंगाबसंत जी  मुख्य अतिथि डॉ बंदरवाल मुख्य वक्ता डॉ पोंगालाल और छ सात लगुओ भगुओ के साथ पधारे. कार्यक्रम की शुरुआत गुलदस्ते और माल्यार्पण से हुआ. इसके पश्चात उबाऊ भाषणों का सिलसिला शुरू हुआ. कार्यक्रम के दौरान प्लास्टिक की बोतलों और गिलासों में मिनरल वाटर की व्यवस्था की गयी बाकी कोल्ड ड्रिंक और चाय वाय भी डिस्पोसल सिस्टम में चाक  चौबंद मिल रहा था.
 भाषणोंपरांत वृक्षारोपण प्रस्तावित था.तमाम मुरझाये पौधे  एक कतार से रखे थे. कार्यक्रम व्यवस्थापक जल्दी से दौड़े और पौधे लेकर खड़े हो गए. मुख्य अतिथि पौधे को छूकर गड्ढे की तरफ इशारा मात्र करते और कंपनी के  लगुए भगुए झट से गद्धो में मिटटी डालने लगते तत्पश्चात कंपनी मालिक उनपर पानी छिडकाव करता और बीच बीच में बोलता जाता,सर! इस बार गधाचंद की जगह आप इस दास को मौका दीजिये न टेंडर मेरे नाम से खुलवाईयेगा. चाहे तो दो परसेंट हिस्सा और बढ़ा लें वैसे भी सब आपका ही है. ही ही ही . आप भी क्या बात करते है  चोंगाबसंत साहब, एक बार जबान देतो समझे पक्की. लेकिन आपका "वो" वाला प्रोग्राम क्या बढ़िया था चकाचक व्यवस्था थी यहाँ तो मुर्दाये चेहरे दिख रहे है देखिये न ये मैडम तो ठीक से लिपस्टिक भी नही लगाए है. हे हे हे. चोंगाबसंत एकदम उत्साह में आकर बोला, अरे आप हुकुम करो अगली बार धाँसू प्रोग्राम करवाता हूँ कहो तो मुंबई से बार डांसरो को भो बुलवा लूँगा. बस आप टेंडर न जाने दीजियेगा. मुख्य अतिथि की आँखों चमक आ गयी. इसी तरह अर्थ डे संपन्न हुआ. थोड़ी देर बाद समारोह स्थल पर प्लास्टिक की पन्नियाँ गिलास रैपर बोतले कुचले हुए फूल कूड़े के रूप में पड़े हुए थे.
अगले दिन अखबार में था "पर्यावरण संरक्षण हेतु पालीथिन का प्रयोग न करे" --डॉ बंदरवाल . "तापीय वृद्धि में योगदान देते ए.सी."-- श्री चोंगाबसंत. "चोंगा एंड चोंगा में पर्यावरण  जागरूकता पर गहन चर्चा".

5 टिप्‍पणियां:

  1. आज के दिखावे पर करारा व्यंग्य है यह आलेख.सच्चाई भी छिपी है इसमें.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूबसूरत .............................
    गजब का नामकरण किया है आज के समाज सेवकों का पढने के बाद उछलने का मन किया लेकिन कुछ मजबूर थे नहीं तो ये आपका व्यंग मेरे साथ कुछ और कर देता बहुत बहुत खूबसूरत जितनी बार कहूं उतना ही कम है ...........

    आग लग जाये तो कोई बुरी बात नहीं

    जवाब देंहटाएं
  3. आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है.....
    वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
    लाजवाब है.....
    लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार...

    जवाब देंहटाएं