tag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post3122123154936055256..comments2023-09-08T02:32:34.563-07:00Comments on हरी धरती Hari Dharti: इस चोरी में आपकी कितनी सहभागिता है?Dr. Pawan Vijayhttp://www.blogger.com/profile/14025429234542608035noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post-71342982451280953542011-01-07T21:24:32.474-08:002011-01-07T21:24:32.474-08:00सही बात है. मनुष्य के लालच ने ही पर्यावरण की दुर्ग...सही बात है. मनुष्य के लालच ने ही पर्यावरण की दुर्गति की है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post-58562027864907093012011-01-07T09:51:32.059-08:002011-01-07T09:51:32.059-08:00वैसे तो आवश्कताओं की सबकी अपनी अपनी परिभाषा है ।
ध...वैसे तो आवश्कताओं की सबकी अपनी अपनी परिभाषा है ।<br />धरती पर जनसंख्या का भार बढा कर हम जन्म से ही उसके अपराधी बन जाते हैं ।<br />क्या आज हमारी धरती इसके लिये हमे माफ करेगी ।<br />क्या हम कभी इस बात पर विचार करते है कि .........palashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post-60134887367569919852011-01-07T03:28:18.741-08:002011-01-07T03:28:18.741-08:00ईमानदारी से बोले
"हम सब चोर है"
शर्म क...ईमानदारी से बोले <br />"हम सब चोर है"<br />शर्म की बात है <br />चोरी आसानी से नहीं छूटेगी <br />पर आपसे वादा है कि <br />अपनी जरूरत की चीजे ही उपभोग करेगे <br />किसी का हक नहींSURYABHAN CHAUDHARYhttps://www.blogger.com/profile/12530680404908334422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post-41449323955368377162011-01-07T03:23:42.116-08:002011-01-07T03:23:42.116-08:00मासूम भाई शुक्रिया
एक पैगाम हरीतिमा के नाम देने क...मासूम भाई शुक्रिया <br />एक पैगाम हरीतिमा के नाम देने के लिएPAWAN VIJAYhttps://www.blogger.com/profile/14648578581549077487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post-19580485730555106552011-01-07T02:47:58.087-08:002011-01-07T02:47:58.087-08:00आपने बहुत ही गहरी बात कही है. आवश्यकता से अधिक किस...आपने बहुत ही गहरी बात कही है. आवश्यकता से अधिक किसी भी छेज़ का उपयोग दूसरे हा हक मारना ही है....S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.com