tag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post8141840903661302511..comments2023-09-08T02:32:34.563-07:00Comments on हरी धरती Hari Dharti: उपभोग की अत्यधिक विषमताओ से हम धरती को निर्जीविता की और धकेल रहे है.Dr. Pawan Vijayhttp://www.blogger.com/profile/14025429234542608035noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post-43843755966846765292011-02-25T02:43:25.388-08:002011-02-25T02:43:25.388-08:00मानव द्वारा उपभोग की मात्र इतनी अधिक है कि उसे पूर...मानव द्वारा उपभोग की मात्र इतनी अधिक है कि उसे पूरा करने के लिए एक तिहाई प्रथ्वी की और अधिक आवश्यकता है.<br /><br />Bilkul sahi kaha hai apneTaarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5850822180647447456.post-60218044861018562742011-02-25T02:24:01.227-08:002011-02-25T02:24:01.227-08:00अनजाने में ऐसा पाप करते है जिसका प्रायश्चित्त संभव...अनजाने में ऐसा पाप करते है जिसका प्रायश्चित्त संभव नही है. आपका मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे या चर्च जाना चोरी सीना जोरी वाली बात होगी. आप यह तर्क देगे कि मै अपनी मर्जी और पैसे के मुताबिक़ कुछ भी उपभोग करने के लिए स्वतंत्र हूँ तो यह निहायत नीच एवं बेहूदा तर्क है. तह एक किसिम की डकैती है. डकैतों के पास लोगो को लूटने का सामर्थ्य है तो क्या उनका कृत्य जायज है<br />bilkul nahiABHISHEK DWIVEDIhttps://www.blogger.com/profile/14482071955559623867noreply@blogger.com